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सदी के दूसरे सिंहस्थ के अंतिम शाही स्नान में उमड़ा श्रद्धालुओं का सैलाब जिसे देख सभी अलौकिक आनंद से सराबोर हुए, इस बार 8.5 करोड़ से भी ज्यादा लोगों ने कुम्भ पर क्षिप्रामें स्नान किया। वैशाख पूर्णिमा (21मई )पर उज्जैन सिंहस्थ महाकुंभ में मोक्षदायिनी क्षिप्रा नदी में 13 अखाड़ों का शाही स्नान सम्पन्न हुआ। श्रद्धालुओं को धर्म, अध्यात्म, आस्था और विश्वास का ऐसा अदभुत नजारा बहुत कम देखने को मिलता है। यही कारण है कि लाखों श्रद्धालु इस क्षण का बेसब्री से इंतजार कर रहे थे और जैसे ही उन्होंने यह नजारा देखा उसे अपने मोबाइल कैमरे में कैद करने लग गए।

मान्यता है कि अमृतपान की चाह में देव-दानवों में हुए संघर्ष के दौरान अमृत कलश से कुछ बूँदे हरिद्वार, इलाहाबाद, उज्जैन और नासिक की नदियों में छलक गई थीं। इसी की स्मृति में प्रत्येक बारह वर्ष बाद इन स्थानों पर कुंभ महापर्व होता है। ग्रहों की स्थिति के अनुसार गुरू जब सिंह राशि में होते हैं और मेष राशि में सूर्य होता है तब उज्जैन में सिंहस्थ होता है। उज्जैन सिंहस्थ को इसलिए अधिक महत्व दिया जाता है क्योकि यहाँ पर क्षिप्रा में स्नान करने से मोक्ष प्राप्त होता है। क्षिप्रा को मोक्षदायिनी नदी माना गया है।

दिल्ली से इंदौर हवाई अड्डे, और वहां से उज्जैन पहुंचने पर, जगह-जगह सिंहस्थ-2016 के पोस्टर देखने को मिले, जिसमें मुख्यमंत्री का यात्रियों के लिए संदेश देखकर सुखद लगा। इस प्राचीन तीर्थ क्षेत्र में लगभग दो साल पहले शहर के आसपास की भूमि सिंहस्थ क्षेत्र के लिए लेने के बाद भू-स्वामियों को पर्याप्त मुआवजा राशि देने की जानकारी मिली।

मैंने कुम्भ में देखा, क्षिप्रा में स्नान और बाबा महाकाल सहित अन्य   देवी-देवताओं को मत्था टेकने के बाद श्रद्धालु विभिन्न पंडालों में पहुँच कर साधु-संतों की अद्भुत और अलौकिक दुनिया भी देख रहे थे। बड़ी-बड़ी जटाएँ और धूनी रमाए नागा साधुओं को देखकर श्रद्धालु सुखद आश्चर्य से भर जाते थे। देशी ही नहीं, विदेशी श्रद्धालु भी इन साधुओं की अलौकिक दुनिया को देखने खिंचे चले आ रहे थे। नागा साधुओं की दीक्षा प्रणाली भी सिंहस्थ मेले का प्रमुख आकर्षण बनी हुई थी। पवित्र क्षिप्रा में पिंडदान करने के बाद जब नव सन्यासी अपने अखाड़े की छावनी की ओर प्रस्थान करते हैं तो यह दृश्य देखते ही बनता था।

मैं संसार के इस सबसे बड़े धार्मिक मेले को देख कर अभी तक रोमांचित और अभिभूत हूँ, विश्व की इस सबसे बड़ी सांस्कृतिक धरोहर को दुनिया  के सामने इतने सहज  और सरल तरीके से लाने के लिए हिन्दू धर्म के उन सभी महाँधर्माचार्यो को मेरा नमन।

 

उज्जैन सभांग के आयुक्तडा.रवीन्द्र पस्तोर ने विश्व के इस सबसे बड़े धार्मिकसम्मेलन के सफल आयोजन के बाद हमें एक खास मुलाकात मेबताया कि

उज्जैन सिंहस्त मेले ने चार गोल्डन बुक वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाए और गोल्डन वर्ल्ड बुक रिकॉर्ड के एशिया रीजन के कार्यकारी अधिकारी ने संबंधीत प्रमाण पत्र मुख्यमंत्री शिवराज सिंह को प्रदान किए गए।

1. दुनिया की यह 118 कि.मी.लंबी सबसे बड़ी धार्मिक पैदल यात्रा (पंचक्रोशी) थी जिसमें13 लाख लोगों ने तपते सूरज की 46℃ की गर्मी में यात्रा की।

2. केवल एक नदी शिप्रा के किनारों पर एक दिन में 75 लाख यानीं के 7.5 मिलियन लोगों ने स्नान किया जो कि अपने आप में एक अदभुतकीर्तिमान है

3. इस मेले ने दुनिया के सबसे बडे मानवघनत्व वाले मेले के रूप में अपना नाम दर्ज करा लिया जिसमें 1 माह में 8.5 करोड़ लोगों ने शिरकत की।

4. इस दौरान एक और खूबसूरत रिकॉर्ड यह बना कि उज्जैन में एक साथ 5000 सफाईकर्मचारियों ने अपने हाथों में झाड़ू लेकर सफाई शरू की।पहले ये रिकॉर्ड 1000 लोगों से मेक्सिको के नाम था।

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