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इंडो-अमेरिकन नवीन जैन की कंपनी – मून एक्सप्रेस पहली ऐसी प्राइवेट स्पेस कंपनी बनी है जिसे चंद्रमा पर मिशन चलाने को हाल में अमेरिकी सरकार की इजाजत मिली है। जैन (56) ने यह कंपनी स्पेस आंत्रप्रन्योर बॉब रिचर्ड और नासा के पूर्व साइंटिस्ट बर्नी पेल के साथ मिलकर बनाई है। उनकी कंपनी की टीम 20 मिलियन डॉलर के गूगल लूनर एक्स-प्राइज की होड़ में शामिल 16 टीमों में से एक है जो चंद्रमा पर अपना मिशन चला सकती हैं।  मून एक्सप्रेस को अमेरिकी सरकार से मिले अप्रूवल का एक खास मतलब है। जैन बताते हैं कि इसके जरिये अमेरिकी सरकार सुनिश्चित करना चाहती है कि वह अपने मिशन से वायुमंडल या पृथ्वी को प्रदूषित न करे। मून एक्सप्रेस चंद्रमा पर एक खास मकसद से जाना चाहती है। जैन कहते हैं, हम वहां सोना, प्लैटिनम और रेयर अर्थ कहलाने वाले तत्वों की माइनिंग कर सकते हैं। चंद्रमा पर हीलियम-3 का भंडार है जो स्वच्छ ऊर्जा का एक बेहतरीन स्रोत है। हम वहां पृथ्वी या फिर चंद्रमा की कक्षा में फ्यूलिंग स्टेशन भी बना सकते हैं। आज की तारीख में लंबी स्पेस यात्राओं के लिए रॉकेट ईंधन ले जाना बेहद महंगा है पर यदि हम ऐसा कर सके, तो इससे स्पेस ट्रैवल की लागत घटेगी। अपने मिशन की लागत के बारे में जैन का कहना है कि चंद्रमा पर जाने की लागत अमूमन 10 मिलियन डॉलर है पर हम आरएंडडी पर अलग से 40 मिलियन डॉलर खर्च कर रहे हैं। इससे शुरू से आखिर तक हमारे मिशन पर कुल 50 मिलियन का खर्च आ सकता है। जैन कहते हैं कि हाल तक चंद्रमा की किसी भी चीज पर दुनिया का कोई भी मुल्क 1967 के एक अंतरराष्ट्रीय करार में बंधे होने के कारण अपना दावा पेश नहीं कर सकता था, लेकिन इधर अमेरिकी सरकार ने कानून में एक संशोधन किया है। इससे प्राइवेट कंपनियों को भी चांद पर खोजी गई चीज के स्वामित्व का हक मिल गया है।

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